A SECRET WEAPON FOR HINDI STORY

A Secret Weapon For hindi story

A Secret Weapon For hindi story

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अगले दिन वह एक अलग तरह के बर्तन में किसान को खाना देने गयी और किसान को व्यस्त देख कर खाना वहीँ रख कर घर वापस आ गयी। कुछ देर बाद एक सियार वहां आया और खाने के बर्तन में मुँह डाल के खाना खाने की कोशिश करने लगा। पर इस बार वह सफल नहीं हुआ और उसका मुँह बर्तन में फंस गया। सियार हल्ला मचाने लगा। सियार को इस हालत में देख के किसान समझ गया की कल उसका खाना कहा गायब हुआ था। वह डंडा ले कर सियार के पास आया .

Image: Courtesy Amazon This really is a type of Hindi fiction textbooks devoid of which neither Hindi literature of your twentieth century is entire, nor is any discussion on the part of women in the best ability. Having been translated into a number of languages, this novel is appropriate even right now. Via this novel, Mannu Bhandari recognises and breaks down the earth of Grownups throughout the eyes and consciousness of a child.

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

The narrative weaves collectively the life of assorted figures, reflecting the special tapestry of Varanasi, through the ghats alongside the Ganges to your slim lanes pulsating with the town’s history. That has a combination of humour, satire, and social commentary, Kashi Ka Assi

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

इमेज कैप्शन, राजेंद्र यादव संकलित इस किताब में उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, रेणु और भीष्म साहनी की कहानियाँ संकलति हैं.

टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।

बड़े-बड़े मकानों, बड़ी-बड़ी दूकानों, लंबी-चौड़ी सड़कों, एक से एक बढ़ के कारख़ानों और रोज़गारियों की बहुतायत ही के सबब से नहीं, बल्कि अंग्रेज़ो की कृपा से सैर तमाशे का घर बने रहने और समुद्र का पड़ोसी होने तथा जहाज़ी तिजारत की बदौलत आला दरजे की तरक़्क़ी माधव प्रसाद मिश्र

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

बाबा भारती और खड़ग सिंह की यह कहानी मनुष्य के भीतर छिपी अच्छाइयों के पुनरुद्धार more info और दूसरे मनुष्य पर विश्वास की अनश्वरता की अद्भुत लोकगाथात्मक कहानी है.

सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चीटें-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी अमरकांत

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